उत्तराखंड की हसीन वादियों और समाज की जटिलताओं को पर्दे पर उकेरने वाली फिल्म ‘खोली का गणेश’ 31 जनवरी 2025 को रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म शुभम सेमवाल द्वारा निर्देशित है और इसमें जातिवाद के विषय को केंद्र में रखकर एक मार्मिक प्रेम कहानी दर्शाई गई है।
कहानी की पृष्ठभूमि
फिल्म की कहानी महेश और सरिता के इर्द-गिर्द घूमती है। महेश और सरिता दो मासूम दिल हैं, जिनकी प्रेम कहानी समाज की जातिगत दीवारों से टकराती है। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की पृष्ठभूमि में सेट इस कहानी में प्रेम और जातिवाद के बीच की जंग को बेहद संवेदनशीलता से चित्रित किया गया है।
महेश, जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखता है, और सरिता, जो ऊंची जाति से आती है, अपने प्यार के लिए समाज से लड़ने का साहस दिखाते हैं। लेकिन उनकी राह में खड़ी जातिवाद की मजबूत दीवारें उनकी परीक्षा लेती हैं।
जातिवाद पर तीखा प्रहार
‘खोली का गणेश’ सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और उसकी जटिलताओं को उजागर करने का प्रयास करती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे जातिवाद न केवल व्यक्तिगत संबंधों को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की संरचना को भी कमजोर करता है।
शुभम सेमवाल, जो खुद उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं, ने इस फिल्म के जरिए जातिवाद के काले साए को उजागर करने का साहसिक कदम उठाया है। उन्होंने न सिर्फ इस मुद्दे को सामने रखा है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे प्रेम और करुणा इन भेदभावों को मिटा सकती है।
कलाकारों का अभिनय
फिल्म में महेश और सरिता का किरदार निभाने वाले कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने का वादा किया है। महेश का किरदार एक संघर्षशील और जुझारू युवक का है, जो अपने प्यार के लिए समाज के नियमों से लड़ता है। वहीं, सरिता का किरदार भी उतना ही मजबूत और प्रभावशाली है, जो अपने दिल की सुनने का साहस करती है।
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां
फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड की खूबसूरत लोकेशनों पर की गई है, जो कहानी में एक अलग ही जान डालती है। गांव की सादगी और वहां की संस्कृति को पर्दे पर बेहद खूबसूरती से उकेरा गया है।
सामाजिक संदेश
‘खोली का गणेश’ सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म नहीं है, बल्कि यह समाज को एक गहरा संदेश भी देती है। यह फिल्म जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देती है और यह दिखाती है कि कैसे प्रेम और समानता के जरिए समाज को बदला जा सकता है।
निर्देशक का दृष्टिकोण
शुभम सेमवाल ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि वह इस फिल्म के जरिए समाज को एक आइना दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यह फिल्म मेरी अपनी जड़ों से जुड़ी है। जातिवाद एक ऐसी समस्या है, जो आज भी हमारे समाज में गहराई से बैठी हुई है। इस फिल्म के जरिए मैंने इसे चुनौती देने का प्रयास किया है।”
रिलीज और दर्शकों की उम्मीदें
31 जनवरी 2025 को रिलीज होने वाली ‘खोली का गणेश’ को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता है। ट्रेलर के रिलीज होने के बाद से ही फिल्म को लेकर चर्चा तेज हो गई है। फिल्म में न केवल एक संवेदनशील कहानी है, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और वहां की वास्तविकताओं को भी बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
निष्कर्ष
‘खोली का गणेश’ एक ऐसी फिल्म है, जो समाज के एक गहरे मुद्दे को सामने लाती है और यह दिखाती है कि कैसे प्रेम और साहस हर बाधा को पार कर सकता है। 31 जनवरी को यह फिल्म आपके नजदीकी सिनेमाघरों में देखने लायक होगी। समाज में बदलाव की एक छोटी सी शुरुआत इस फिल्म को देखकर की जा सकती है।
तो आइए, इस जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाने वाली इस अनोखी कहानी का हिस्सा बनें और ‘खोली का गणेश’ देखने जरूर जाएं
