प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन
प्रयागराज का महाकुंभ हर बार कुछ न कुछ विशेष लेकर आता है, लेकिन इस बार सेक्टर-17 में स्थित शक्तिधाम आश्रम ने सबका ध्यान खींचा है। यह आश्रम इसलिए खास है क्योंकि इसके सभी नौ महामंडलेश्वर विदेशी मूल के हैं।
संस्कृत में निपुण महामंडलेश्वर
आश्रम के महामंडलेश्वर हिंदी भले ही स्पष्ट न बोल पाएं, लेकिन संस्कृत में उनकी प्रवीणता देखते ही बनती है। वेदों और शास्त्रों का गहन अध्ययन करने वाले ये संत भारतीय संस्कृति के जीवंत प्रतीक हैं।
विविध देशों से आए महामंडलेश्वर
नौ महामंडलेश्वरों में से सात पुरुष और दो महिलाएं हैं, जो अमेरिका, इजराइल और जापान जैसे देशों से ताल्लुक रखते हैं। इनका भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति समर्पण और लगाव इन्हें अनोखा बनाता है।
विदेशी से भारतीय बनने की यात्रा
शक्तिधाम आश्रम के इन संतों ने अपने मूल देशों से भारत आकर सनातन धर्म और भारतीय परंपराओं को पूरी तरह आत्मसात किया। वे न केवल भारतीय वेशभूषा पहनते हैं, बल्कि भारतीय खानपान और जीवनशैली का भी पालन करते हैं।
महाकुंभ में विशेष आकर्षण
शक्तिधाम आश्रम कुंभ मेले का एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। यहां आने वाले भक्त इन महामंडलेश्वरों के व्यक्तित्व और उनके द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानों से प्रभावित होते हैं।
भारतीयता का प्रतीक
यह आश्रम इस बात का जीवंत उदाहरण है कि भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराई विदेशियों को भी अपनी ओर खींच सकती है। यहां के महामंडलेश्वर इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय परंपराएं किसी भी सीमा में बंधी नहीं हैं।
सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार
शक्तिधाम आश्रम के ये महामंडलेश्वर न केवल भारतीय धर्म का प्रचार करते हैं, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का कार्य भी करते हैं। उनका उद्देश्य भारतीय संस्कृति की महानता को दुनिया तक पहुंचाना है।
कुंभ मेले में आध्यात्मिक ऊर्जा
कुंभ मेले के दौरान यहां होने वाले धार्मिक आयोजन, प्रवचन और संस्कृत पाठ श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह आश्रम भारतीयता का सजीव उदाहरण है और इसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।
शक्तिधाम आश्रम भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। यहां के महामंडलेश्वर इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय धर्म और संस्कृति की गूंज पूरी दुनिया में है।
