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सम्पादकीय

जागरण संपादकीय: अर्थव्यवस्था को बल देगा महाकुंभ, होगा आध्यात्मिक चेतना का भी विकास

विनोद भण्डारी
Last updated: 2025/01/25 at 7:16 AM
विनोद भण्डारी
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7 Min Read
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महाकुंभ को भव्य एवं सुगम बनाने पर सरकार द्वारा लगभग 7000 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। इस निवेश से न सिर्फ तीर्थाटन और रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि इसके गुणक प्रभाव से उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रयागराज की देश के विभिन्न हिस्सों से कनेक्टिीविटी बढ़ाने के लिए ही भारतीय रेलवे ने 3000 विशेष ट्रेनों को चलाया है।

डॉ. सुरजीत सिंह। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का केवल धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही विशेष महत्व नहीं है। यह अर्थव्यवस्था को भी एक नई उड़ान देने वाला भी है। इस महाकुंभ में विज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म का अदभुत संगम दिखाई दे रहा है। पारंपरिक परंपराओं के अस्तित्व से अनुकूलन करता महाकुंभ समय के साथ आधुनिकता की ओर बढ़ता दिख रहा है।

यूनेस्को द्वारा 2017 में कुंभ मेले को मानव जाति की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद से यह आयोजन विश्व के लोगों के लिए और आकर्षण का केंद्र बन गया है। कुंभ उनके लिए सदैव शोध एवं जिज्ञासा का विषय रहता है कि कैसे बिना निमंत्रण के ही इतने अधिक लोग एक साथ एक जगह एकत्रित हो जाते हैं?

महाकुंभ में डिजिटल तकनीक के साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर है। यहां करीब 500 पर्यावरण संरक्षण संस्थाएं गंगा और कुंभ की स्वच्छता और निर्मलता बनाए रखने के लिए ‘हर घर से एक थैला, एक थाली’ द्वारा हरित कुंभ में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रही हैं।

महाकुंभ में आधुनिक तकनीक का प्रयोग केवल भीड़ को सुचारु रूप से प्रबंधित करने और सुरक्षा आदि के लिए ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि 11 भाषाओं में एआइ संचालित चैटबाट कुंभ सहायक महाकुंभ की समस्त आवश्यक जानकारी भी उपलब्ध करा रहा है।

महाकुंभ को भव्य एवं सुगम बनाने पर सरकार द्वारा लगभग 7000 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। इस निवेश से न सिर्फ तीर्थाटन और रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि इसके गुणक प्रभाव से उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रयागराज की देश के विभिन्न हिस्सों से कनेक्टिीविटी बढ़ाने के लिए ही भारतीय रेलवे ने 3,000 विशेष ट्रेनों को चलाया है।

प्रयागराज में गंगा पर छह लेन का ब्रिज, चार लेन का रेलवे ओवरब्रिज बनाया गया है। हल्दिया-वाराणसी जलमार्ग को प्रयागराज तक विस्तार दिया गया है। सरकार द्वारा महाकुंभ के लिए विभिन्न विकास योजनाओं पर व्यय के साथ बड़े-बड़े उद्योगपति भी अपनी-अपनी वस्तुओं की ब्रांडिंग और मार्केंटिग के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक व्यय कर रहे हैं।

प्रयागराज में 45 दिनों तक चलने वाले इस समागम में होने वाली आर्थिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप राज्य सरकार को 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। वित्तीय लेनदेन 2.5 लाख करोड़ से अधिक होने की संभावना है। 2019 के अर्धकुंभ में 1.2 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय लेनदेन हुआ था। महाकुंभ की एक महत्वपूर्ण बात यह भी होगी कि डिजिटल लेनदेन पर बहुत अधिक जोर रहेगा।

इस डिजिटल लेनदेन से गैर-संगठित क्षेत्र के लोगों की ऋण क्षमता बढ़ने से बैंकिग क्षेत्र की व्यवस्था भी मजबूत होगी। होटल, रेस्तरां, परिवहन सेवाएं और टूर प्रदाताओं के साथ-साथ क्षेत्रीय हस्तशिल्प, कला और व्यंजनों के लिए बाजार से जुड़े लाखों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

इस आयोजन से स्ट्रीट वेंडर, शिल्पकार और दुकानदार आदि 45 दिनों में ही आठ महीने से अधिक की आय आसानी से अर्जित कर लेगें। सीआइआइ की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के कुंभ में विभिन्न क्षेत्रों में छह लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला था। इस बार यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुसार महाकुंभ की तैयारियों में लगभग 45,000 परिवारों को रोजगार मिल चुका है।

महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन से भी राज्य और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था, दोनों के राजस्व में वृद्धि होगी। महाकुंभ के लिए टूर आपरेटरों द्वारा अनेक प्रकार के आकर्षक टूर पैकेज की पेशकश की जा रही है। प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्री केवल महाकुंभ तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण करेगें। अयोध्या, वाराणसी, मथुरा आदि अन्य स्थलों पर घरेलू एवं विदेशी मेहमानों के आने से सरकार को लगभग 200 करोड़ से अधिक आय सृजित होने की संभावना है।

कुंभ मेले का सर्वाधिक आकर्षण स्थानीय उत्पादों के स्टाल होते हैं। कुंभ एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जिसके माध्यम से स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित कर वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ा जा सकता है। इसके लिए बड़े उद्योगों की प्रतिस्पर्धा से स्थानीय उद्योगों को संरक्षित किया जाना आवश्यक है।

महाकुंभ में लोगों द्वारा गरीबों एवं वंचितों को अन्न एवं वस्त्र के दान का भी विशेष महत्व होता है। श्रद्धालुओं द्वारा संतों को भी दान दिया जाता है। भंडारे जैसी गतिविधियां आयोजित होती हैं। इसमें कोई एक व्यक्ति या समाज ही नहीं, बल्कि पूरा देश ही उठ खड़ा होता है। इस सामाजिक चेतना को भले ही आर्थिक मानकों पर न मापा जा सके, पर ये गतिविधियां भी आर्थिक मापदंड का आधार मजबूत करती है।

महाकुंभ से देश की जीडीपी में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि होने के साथ ही अन्य दूरगामी आर्थिक प्रभाव होंगे, जो उत्तर प्रदेश की आर्थिकी को एक ट्रिलियन डालर वाले लक्ष्य के और निकट लाएंगे। महाकुंभ में आर्थिक प्रभावों से अधिक सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना का विकास होगा, जो हमें वसुधैव कुटुंबकम् की मूल भावना के और अधिक निकट लाएगा

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