परिचय
बॉलीवुड अभिनेत्री सान्या मल्होत्रा की फिल्म ‘मिसेज’ जल्द ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म के माध्यम से वह एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को उजागर कर रही हैं। हाल ही में, उन्होंने एक साक्षात्कार में मातृत्व और करियर को लेकर समाज में व्याप्त भेदभाव पर खुलकर बात की और यह प्रश्न उठाया कि क्यों केवल महिलाओं से ही त्याग की उम्मीद की जाती है?
‘मिसेज’ की कहानी और सामाजिक संदेश
फिल्म ‘मिसेज’ एक ऐसी महिला की कहानी है जो शादी के बाद अपने करियर और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है। यह फिल्म समाज में व्याप्त उस धारणा को चुनौती देती है, जिसमें मातृत्व को केवल महिला की जिम्मेदारी माना जाता है। फिल्म दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या विवाह और मातृत्व का अर्थ यह होना चाहिए कि महिला को अपने सपनों और करियर से समझौता करना पड़े?
मातृत्व और करियर के बीच संतुलन
शादी और मातृत्व के बाद महिलाओं को अपने करियर को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। पुरुषों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे अपने करियर को छोड़ें, लेकिन महिलाओं के लिए यह एक सामान्य धारणा बन गई है। सान्या का मानना है कि अगर पुरुष भी घर और बच्चे की जिम्मेदारी समान रूप से निभाएं, तो महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने में ज्यादा सहूलियत होगी।
पुरुषों की भूमिका और बराबरी का अधिकार
सान्या मल्होत्रा का मानना है कि समानता केवल कागजों में नहीं बल्कि व्यवहार में भी होनी चाहिए। यदि पुरुष घर की जिम्मेदारियों को साझा करें और पितृत्व अवकाश लें, तो इससे न केवल महिलाओं को करियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि बच्चे की परवरिश में दोनों अभिभावकों की समान भूमिका हो।
कार्यस्थल पर सुधार की जरूरत
बड़ी कंपनियों को मातृत्व अवकाश के अलावा पितृत्व अवकाश को भी अनिवार्य करना चाहिए, ताकि पुरुष भी परिवार की जिम्मेदारियों को निभा सकें। साथ ही, कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। कंपनियों को ऐसी नीतियां अपनानी चाहिए जो महिलाओं को मातृत्व के बाद भी करियर जारी रखने के लिए प्रेरित करें।
सान्या मल्होत्रा ने अपनी फिल्म के माध्यम से समाज में एक महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत की है। अगर पुरुष और महिला दोनों समान रूप से जिम्मेदारियां निभाएं, तो महिलाओं को अपने करियर और मातृत्व के बीच बेहतर संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। इसके लिए जरूरी है कि समाज अपनी सोच बदले और महिलाओं को समान अवसर प्रदान करे।
