महाशिवरात्रि का पौराणिक और धार्मिक दृष्टिकोण
महाशिवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि के दिन की विशेषता
शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन भगवान शिव स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस अवसर पर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और पूरे देश में भजन-कीर्तन, जागरण और शिव बारात के आयोजन होते हैं।
व्रत और पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान और संकल्प: व्रतधारी भक्त गंगा स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं।
- शिवलिंग अभिषेक: दूध, जल, दही, शहद, और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
- बिल्वपत्र और भस्म अर्पण: भगवान शिव को विशेष रूप से बिल्वपत्र, भस्म और धतूरा अर्पित किया जाता है।
- रात्रि जागरण: भक्त रातभर शिव मंत्रों और भजनों का जाप करते हैं।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शुभकामनाएं
- “शिव की भक्ति में जीवन का सार है, उनके आशीर्वाद से सबका कल्याण हो! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!”
- “शिव की शक्ति आपके जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जाए, महाशिवरात्रि मंगलमय हो!”
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर सभी भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएं।
