उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के हथगाम थाना क्षेत्र के अखरी गांव में मंगलवार को जो हुआ, उसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। आपसी रंजिश में एक ही परिवार के तीन लोगों की न सिर्फ गोली मारकर हत्या की गई, बल्कि मरने के बाद भी उनके शवों पर डंडे बरसाए गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान इस खौफनाक वारदात की बर्बरता बयां करते हैं।
बरमभोज की तैयारी के बीच शुरू हुआ विवाद
घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब पूर्व प्रधान सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू के घर पर 14 अप्रैल को होने वाले बरमभोज के लिए उसका बेटा पीयूष ट्रैक्टर से गेहूं की बोरियां लेने जा रहा था। इसी दौरान गांव के ही पप्पू सिंह दरवाजे पर खड़े थे। पीयूष ने उन्हें घूरा, जिससे विवाद शुरू हुआ। गाली-गलौज के बाद पीयूष ने ट्रैक्टर तेज किया तो पप्पू सिंह लाठी लेकर पीछे दौड़े और ट्रैक्टर रुकवाया। यह देखते ही पीयूष ने अपने पिता और साथियों को फोन कर बुला लिया।
देखते ही देखते भिड़ गए दोनों पक्ष
थोड़ी ही देर में पप्पू सिंह का बेटा अभय बाइक से और भाई अनूप सिंह पैदल दौड़ते हुए वहां पहुंच गए। वहीं, मुन्नू सिंह, उसके बेटे पीयूष और उनके अन्य साथी भी ट्रैक्टर से वहां पहुंचे। दोनों पक्षों में पहले जमकर लाठी-डंडे चले। इस बीच पप्पू सिंह की लाठी मुन्नू सिंह के सिर पर लगी और वह घायल होकर गिर पड़ा। तभी मुन्नू पक्ष के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें पप्पू सिंह, उनका बेटा अभय और भाई अनूप मौके पर ही ढेर हो गए।
गोलियों के बाद डंडों से पीटकर की गई बर्बरता
इस हत्याकांड की क्रूरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीनों को गोली मारने के बाद भी हमलावर नहीं रुके। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पप्पू सिंह के शरीर पर डंडे से इस कदर वार किए गए कि डंडा खून से लाल हो गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी स्पष्ट हुआ कि शवों पर गोली के साथ-साथ गंभीर बाहरी चोटें थीं, जो डंडों से हुई थीं।
पुराने विवाद की आग ने ली तीन की जान
इस हत्याकांड की जड़ें सालों पुराने विवाद में छुपी हैं। बताया जाता है कि पप्पू सिंह और मुन्नू सिंह के पिता भी एक-दूसरे से अक्सर झगड़ते रहते थे। कभी गाली-गलौज, कभी मारपीट तो कभी समझौता होता था। लेकिन नई पीढ़ी ने पुरानी दुश्मनी को और बढ़ा दिया। गांव में चर्चा है कि दोनों पक्षों में कभी भी लड़ाई हो सकती थी क्योंकि पप्पू सिंह का घर मुन्नू सिंह के खेत के ठीक बगल में है और अक्सर आमना-सामना होता था।
हत्या की साजिश पहले से तैयार?
पुलिस जांच में सामने आया कि हमलावर पहले से घात लगाए बैठे थे। गांव के ही रमेश के नलकूप के पास ट्रैक्टर लेकर पूर्व प्रधान मुन्नू सिंह, उसका बेटा पीयूष, भूपेंद्र, सज्जन, विवेक और जान उर्फ विपुल पहले से मौजूद थे। जैसे ही पप्पू सिंह का परिवार खेत की ओर गया, हमलावरों ने हमला बोल दिया और घटना के बाद सभी स्कॉर्पियो में सवार होकर भाग निकले।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुले सनसनीखेज राज
पुलिस द्वारा कराए गए पोस्टमार्टम में सामने आया कि पप्पू सिंह को 312 और 32 बोर के तमंचों से पांच गोलियां मारी गईं थीं। वहीं, अभय को सीने और पेट में दो गोलियां लगी थीं जबकि अनूप के सिर में 32 बोर की गोली मारी गई थी। तीनों के शरीर से गोली के छर्रे भी बरामद हुए हैं। इसका साफ मतलब है कि हमलावरों के पास कई हथियार थे और वे पूरी तैयारी के साथ आए थे।
गांव में तनाव, चार घंटे तक शव नहीं उठने दिए ग्रामीणों ने
घटना के बाद गांव में भारी तनाव फैल गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए और उन्होंने शवों को उठाने से इनकार कर दिया। उनका आरोप था कि पुलिस अगर पहले से सतर्क होती तो यह हत्या टल सकती थी। मौके पर पहुंचे एसपी धवल जायसवाल और अन्य अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर चार घंटे बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका।
प्रशासन की सक्रियता, तीन गिरफ्तार, टीमें गठित
अनूप की पत्नी मनीषा की तहरीर पर पुलिस ने पूर्व प्रधान सुरेश सिंह उर्फ मुन्नू, उनके बेटे पीयूष और चार अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी की तलाश में दस टीमों का गठन किया गया है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही सभी फरार आरोपी गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।
राजनीतिक चुप्पी, पीड़ित परिवार अकेला
मृतक विनोद सिंह भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला उपाध्यक्ष थे, लेकिन इस दर्दनाक घटना के बाद भी कोई राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन सामने नहीं आया। पीड़ित परिवार को डर है कि हमलावर दोबारा हमला न कर दें। उनका कहना है कि उन्हें सिर्फ न्याय नहीं, बल्कि सुरक्षा भी चाहिए।
न्याय की उम्मीद, सजा की मांग
गांव में अब भी भय और आक्रोश का माहौल है। लोग मांग कर रहे हैं कि सभी हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई और ऐसी घटना न दोहराए। फतेहपुर तिहरे हत्याकांड न केवल एक आपसी रंजिश का खौफनाक उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर समय रहते प्रशासन और समाज गंभीरता न ले, तो पुरानी दुश्मनी कितनी भयावह हो सकती है।
