जब प्यार बना मौत का कारण
बिजनौर का यह मामला जितना चौंकाने वाला है, उतना ही दुखद भी। आठ वर्षों का प्रेम, एक साल की शादी, छह महीने का मासूम बेटा और फिर एक ऐसा मोड़ जहां पत्नी ने अपने ही जीवनसाथी की हत्या कर दी। इस पूरे प्रकरण में भावनाएं, विश्वासघात, आक्रोश और पछतावे की परतें इतनी गहरी हैं कि समाज को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
कॉलेज की दोस्ती से बना रिश्ता
दीपक कुमार और शिवानी की मुलाकात हल्दौर के कॉलेज में हुई थी। दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदली। दोनों ने मिलकर कई सपने देखे। आठ साल तक अपने रिश्ते को निभाया और अंततः जनवरी 2024 में परिवारों की रजामंदी से शादी कर ली। शादी के बाद एक बेटा हुआ—वेदांत। सबकुछ ठीक लग रहा था, लेकिन भीतर ही भीतर एक तूफान पल रहा था।
शक, तकरार और बिखरता रिश्ता
दीपक के परिवार वालों के अनुसार, शादी के बाद शिवानी का व्यवहार बदल गया था। वह सास से झगड़ती थी, घर में तनाव रहता था। लगातार झगड़ों से परेशान होकर दीपक ने पत्नी को नजीबाबाद में किराये पर अलग घर लेकर रखा था। पर कोई नहीं जानता था कि ये दूरी इतनी गहरी खाई बन जाएगी।
4 अप्रैल की दोपहर: एक भयावह मोड़
4 अप्रैल को शिवानी ने दीपक की मां और भाई को फोन कर बताया कि दीपक को हार्ट अटैक आया है। उसने खुद ही उसे एक निजी अस्पताल और फिर सरकारी अस्पतालों में ले गई। लेकिन कहीं भी डॉक्टर उसे भर्ती नहीं कर सके और आखिरकार दीपक को मृत घोषित कर दिया गया। शिवानी ने पोस्टमार्टम कराने से मना किया, लेकिन जब गले पर निशान देखे गए, तो सच्चाई सामने लाने के लिए पोस्टमार्टम जरूरी हो गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और खुलता राज
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि दीपक की मौत हार्ट अटैक से नहीं, बल्कि गला घोंटने से हुई है। इसके बाद पुलिस ने शिवानी को हिरासत में लिया। पूछताछ में पहले तो वह गुमराह करती रही, एक युवक का नाम लिया, लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि उसने खुद ही दीपक की हत्या की।
पुलिसिया पूछताछ और महिला बैरक की सर्द रातें
शिवानी को सोमवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। जेल में वह पूरी रात नहीं सो पाई, लगातार रोती रही और करवटें बदलती रही। खाना-पीना छोड़ दिया। मंगलवार को नाश्ते में भी कुछ नहीं खाया। दोपहर में काउंसलिंग और बैरक की अन्य महिलाओं की समझाइश के बाद वह थोड़ा संभली और दो रोटियां खाईं। लेकिन उसका चेहरा साफ कह रहा था—वो भीतर से टूट चुकी है।
“झगड़ा हुआ था, गुस्से में दबा दिया गला…”
पूछताछ में शिवानी का कहना है कि वह दीपक की मारपीट और झगड़ों से तंग आ चुकी थी। घटना वाले दिन दोनों में तीखी बहस हुई और उसने गुस्से में आकर गला दबा दिया। लेकिन पुलिस मानती है कि मामला सिर्फ गुस्से का नहीं, इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं। इसलिए गहराई से जांच जारी है।
मासूम वेदांत: अब मां-बाप दोनों से दूर
दीपक और शिवानी का बेटा वेदांत सिर्फ छह महीने का है। इस उम्र में उसे नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ। मां हत्या के आरोप में जेल में है और पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। दीपक के परिजन बच्चे को अपने साथ ले गए हैं। शिवानी के लिए यह और भी बड़ा मानसिक आघात है। वह बार-बार बेटे को याद कर रोती है।
लालच का एंगल या घरेलू कलह?
दीपक के भाई ने आरोप लगाया है कि शिवानी ने दीपक की हत्या इसलिए की ताकि वह उसकी नौकरी और फंड का लाभ पा सके। हालांकि पुलिस अभी इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई है। लेकिन यह आशंका बनी हुई है कि किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका हो सकती है।
एक सवाल—क्या यह टल सकता था?
इस पूरे मामले ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। क्या अगर दोनों के बीच संवाद होता, तो यह हत्या रोकी जा सकती थी? क्या अगर घरेलू हिंसा और मानसिक पीड़ा को समय पर साझा किया जाता, तो आज वेदांत के सिर से पिता का साया नहीं उठता?
भविष्य की राह: कानून का फैसला बाकी
शिवानी ने हत्या कबूल कर ली है, लेकिन यह जांच का विषय है कि इसमें किसी और की भूमिका थी या नहीं। पुलिस उस दिशा में काम कर रही है। वहीं शिवानी को अब कानून के कठघरे में जवाब देना होगा। उसे उम्रकैद या अन्य सजा मिलेगी, यह कोर्ट तय
बिजनौर हत्याकांड सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, यह रिश्तों, भरोसे और संवेदनाओं की हत्या है। एक प्रेम कहानी जो शादी में बदली, वो हत्या पर खत्म हुई। बेटे की मासूम हंसी अब गूंजती नहीं, और शिवानी की जिंदगी जेल की चारदीवारी में सिसक रही है। यह घटना समाज को चेतावनी देती है—संवादहीनता, आक्रोश और लालच, सब मिलकर एक सुंदर जीवन को तबाह कर सकते हैं।
