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devbhoomidispatch.in > Blog > उत्तराखण्ड > रुद्रप्रयाग के ऋषभ भट्ट ने गेट में लहराया परचम, पाई ऑल इंडिया 103वीं रैंक
उत्तराखण्ड

रुद्रप्रयाग के ऋषभ भट्ट ने गेट में लहराया परचम, पाई ऑल इंडिया 103वीं रैंक

विनोद भण्डारी
Last updated: 2025/04/10 at 5:33 AM
विनोद भण्डारी
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4 Min Read
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उत्तराखंड के युवा की राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि क्षेत्र के होनहार छात्र ऋषभ भट्ट ने गेट परीक्षा (GATE – Graduate Aptitude Test in Engineering) 2025 में ऑल इंडिया 103वीं रैंक प्राप्त कर राज्य का नाम रोशन किया है। यह सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे रुद्रप्रयाग जिले के लिए गर्व का क्षण है।

Contents
उत्तराखंड के युवा की राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलतापहाड़ के छोटे से गांव से शुरू किया सफरचिल्ड्रन एकेडमी से शुरूआत, एनआईटी तक की उड़ानसम्मान समारोह में हुआ गौरवपूर्ण सम्मानकठिन परिश्रम और आत्मानुशासन ही बना सफलता की सीढ़ीमाता-पिता की भूमिका रही अहमगांव-समाज से लेकर ऑनलाइन दुनिया तक बधाइयों की बाढ़आगे की योजना: रिसर्च और समाज सेवायुवाओं को ऋषभ की सलाह

पहाड़ के छोटे से गांव से शुरू किया सफर

ऋषभ भट्ट ग्राम गंगतल सिल्ली के निवासी हैं। एक शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखने वाले ऋषभ की शिक्षा की नींव मजबूत रही है। पिता वेणी प्रसाद भट्ट स्वयं एक शिक्षक हैं, जिनके मार्गदर्शन और प्रेरणा से ऋषभ ने पढ़ाई को कभी बोझ नहीं, बल्कि जिम्मेदारी समझा।

चिल्ड्रन एकेडमी से शुरूआत, एनआईटी तक की उड़ान

ऋषभ की पढ़ाई की शुरुआत अगस्त्यमुनि स्थित चिल्ड्रन एकेडमी इंटरमीडिएट कॉलेज से हुई। यहां से उन्होंने अपनी प्राथमिक और इंटरमीडिएट शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और एनआईटी जयपुर से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। यही नहीं, उन्होंने GATE की तैयारी भी पूरी गंभीरता से की, और आखिरकार उसे सफलता में बदल दिया।

सम्मान समारोह में हुआ गौरवपूर्ण सम्मान

ऋषभ की उपलब्धि पर उनके स्कूल चिल्ड्रन एकेडमी में विशेष समारोह आयोजित किया गया। विद्यालय की प्रबंधक ऐश्वर्या रावत, प्रधानाचार्य हरिपाल सिंह कंडारी और समस्त स्टाफ ने ऋषभ को फूलमालाओं और प्रतीक चिन्ह के साथ सम्मानित किया। इस मौके पर छात्रों को भी उनसे प्रेरणा लेने की सीख दी गई।

कठिन परिश्रम और आत्मानुशासन ही बना सफलता की सीढ़ी

ऋषभ मानते हैं कि गेट जैसी कठिन परीक्षा में सफलता पाने के लिए केवल होशियारी नहीं, बल्कि धैर्य, अनुशासन और निरंतर अभ्यास सबसे जरूरी होता है। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाई, रोजाना अध्ययन का समय तय किया और पुराने पेपर्स का अभ्यास किया।

माता-पिता की भूमिका रही अहम

ऋषभ की सफलता में उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है। शिक्षक पिता ने मार्गदर्शन दिया और माता ने हर कदम पर मानसिक और भावनात्मक समर्थन दिया। उन्होंने बताया कि जब कभी भी वह निराश होते, तो माता-पिता ही उन्हें फिर से उठकर खड़ा होने की ताकत देते।

गांव-समाज से लेकर ऑनलाइन दुनिया तक बधाइयों की बाढ़

ऋषभ की उपलब्धि की खबर फैलते ही पूरे गांव में जश्न जैसा माहौल बन गया। रिश्तेदार, शिक्षक, पुराने सहपाठी और गांव के लोग उन्हें बधाई देने पहुंचे। सोशल मीडिया पर भी उन्हें ढेरों शुभकामनाएं मिल रही हैं। ऋषभ अब क्षेत्र के युवाओं के आदर्श बन चुके हैं।

आगे की योजना: रिसर्च और समाज सेवा

ऋषभ आगे चलकर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च करना चाहते हैं। साथ ही वे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए मार्गदर्शन और कोचिंग की योजना भी बना रहे हैं ताकि भविष्य में और बच्चे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं पास कर सकें।

युवाओं को ऋषभ की सलाह

अपने जैसे पहाड़ के युवाओं के लिए ऋषभ का संदेश है – “डरें नहीं, बड़े सपने देखें। कोई भी मंज़िल दूर नहीं अगर आप में मेहनत करने की हिम्मत हो। अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानिए और उसे सही दिशा में लगाइए।” की कहानी, हर युवा के लिए मिसाल

ऋषभ भट्ट की कहानी यह बताती है कि अगर सपना सच्चा हो और इरादा मजबूत, तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं। सीमित संसाधनों, कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने साबित किया कि मेहनत ही सबसे बड़ा हथियार है।

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विनोद भण्डारी April 10, 2025 April 10, 2025
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