कोटद्वार में ऐतिहासिक रैली, भू-कानून की मांग जोरों पर
उत्तराखंड में बाहरी लोगों के बढ़ते अतिक्रमण और संसाधनों की लूट के खिलाफ स्थानीय जनता ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में कोटद्वार में स्वाभिमान रैली का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। यह रैली सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की पहचान, संस्कृति और अस्तित्व बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।
रैली में गूंजे नारे, जनता ने सरकार को दी चेतावनी
कोटद्वार में निकली इस रैली में लोगों ने सरकार से भू-कानून को सशक्त बनाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। उन्होंने कहा कि अब पहाड़ के लोग अपने हक और अस्तित्व की रक्षा के लिए एकजुट हो रहे हैं।
हल्द्वानी में हुई घटना बनी आंदोलन का आधार
हल्द्वानी में हाल ही में जो घटना हुई, उसने इस आंदोलन को और गति दे दी। वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार पहले से ही सशक्त भू-कानून लागू कर चुकी होती, तो इस तरह की अप्रिय घटनाएं नहीं होतीं। सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ बुलडोजर चलाने की नीति अपनाने के बजाय स्थायी समाधान निकाले।
सरकार की कार्यशैली पर सवाल
रैली में शामिल लोगों ने सरकार की दोहरी नीति की आलोचना की। वक्ताओं ने कहा कि जहां एक तरफ अवैध कब्जों को तोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बाहरी लोगों को आसानी से जमीन खरीदने और कब्जा करने की छूट दी जा रही है।
मूल निवास 1950 विधेयक पर जोर
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से सरकार से मांग की कि विधानसभा में मूल निवास 1950 विधेयक पारित किया जाए। इससे बाहरी लोगों के अतिक्रमण पर रोक लगेगी और स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा होगी।
कोटद्वार में हुई इस ऐतिहासिक रैली ने उत्तराखंड में भूमि सुरक्षा की मांग को एक नई दिशा दी है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है, क्योंकि जनता अब अपने हक के लिए पीछे हटने को तैयार नहीं है।
