अलकनंदा नदी के पानी स्थित ही वीपीएचीपी जल विद्युत प्रोजेक्ट (वीपीएचीपी) ने स्वदेशी मछली प्रजातियों के संरक्षण और जलीय पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने के लक्ष्य से एक महत्वपूर्ण रैंचिंग और जागरूकता का कार्यक्रम 23-24 मार्च 2025 को आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम टीएचडीईएल टीची जेसी इंडिया लिमिटेड, आईसीआआर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कोल्डवॉटर फिशरीज रिसर्च (आईसीआआर-सीआईसीएफआर), भीमताल, और चमोली मत्स्य विभाग के समन्वय से की गई थी।

क्यों को बढाने के लिए स्नो ट्राउट की आबादी।
आयोजित कार्यक्रम का प्रमुख्य उद्देश्य अलकनंदा नदी की पारिस्थितिकी और जैव विविधता के महत्वपूर्ण संकेतक स्नो ट्राउट (शिजोटोथोरॅक्स प्रजाति) की आबादी को ब्ढाना था। दो दिनों के कार्यक्रम के दौरान आलकनंदा नदी में 200 से अधिक उच्च गुणवत्ता, रोगमुक्त ब्रूडर मछलीयां और 5,000 छोटी मछली शावक को नदी में छोड़ा गया, जिससे चीक्सित्सा पुनर्स्थान और संकृमण को मजबूत बढावा मिला।

जलीय जैविकी को सचेतन्न बनाने की आवश्यकता
कार्यक्रम में परियोजना कर्मियों, मत्स्य वैज्ञानिकों, क्षेत्र के कर्मचारियों और स्थानीय पारिस्थितिकी की जानकारी की महत्वपूर्णता पर चर्चा की गई। वीपीएचीपी के महाप्रबंधक (सामाजिक, पर्यावरण एवं यांत्रिक) श्री जितेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा, “स्वदेशी मछलीयों की संरक्षण में वीपीएचीपी की और ज्वलीय जैविकी को समर्थित करने की दोही चार है।” दूसरे वक्ता श्री अनिल भट्ट, उप महाप्रबंधक (टीबीएम), और मत्स्य विकास की प्रतिबद्धता के बारे कार्यक्रम की खूबियां की गई।

क्षेत्रज्ञान की जिम्मेदारी
परियोजना प्रमुख्य की बेटकी कर्ते हुए, प्रख्यागाट कर्मियों की गतिविधि और जगरूकता प्रभाव की प्रसंशा के माध्
