घटना की संक्षिप्त जानकारी
हरिद्वार के ज्वालापुर में एक 20 वर्षीय माँ ने अपनी छह माह की जुड़वा बच्चियों की हत्या कर दी। यह मामला केवल अपराध ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और मातृत्व से जुड़ी चुनौतियों को भी उजागर करता है।
आरोपी माँ का बयान
पूछताछ के दौरान महिला ने कहा कि वह बच्चियों की लगातार देखभाल से थक चुकी थी और मानसिक रूप से टूट चुकी थी। अकेले होने और मदद न मिलने के कारण उसका गुस्सा बढ़ता गया और उसने गुस्से में अपनी बच्चियों की हत्या कर दी।
क्या यह पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन का मामला है?
डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई महिलाएँ बच्चे के जन्म के बाद “पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन” से गुजरती हैं। इसके कारण उनमें चिड़चिड़ापन, घबराहट, गुस्सा और भावनात्मक अस्थिरता देखी जाती है। कई मामलों में यह इतनी गंभीर हो सकती है कि माँ अपने बच्चे के लिए खतरा बन जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों जरूरी?
भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता की कमी है। इस मामले में भी, यदि महिला को समय पर मदद मिलती तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी।
समाज और सरकार की भूमिका
- नवजात बच्चों की माँ को पर्याप्त सहायता मिलनी चाहिए।
- परिवार और समाज को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
- सरकार को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुलभ बनाना चाहिए।
इस घटना ने मातृत्व के संघर्ष और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर किया है। यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि हमें माताओं की भावनात्मक और मानसिक स्थिति का ध्यान रखना होगा।
