संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर सुधार की माँग बढ़ रही है। भारत उन देशों में प्रमुख है, जो परिषद की वर्तमान संरचना और कार्यप्रणाली में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
सुरक्षा परिषद की वर्तमान स्थिति
यूएनएससी के पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन) वीटो शक्ति रखते हैं। यह शक्ति कई बार वैश्विक निर्णयों में असंतुलन पैदा कर देती है। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर इन देशों का वीटो इस्तेमाल करना निर्णय प्रक्रिया को अवरुद्ध कर सकता है।
पारदर्शिता और सुधार की दिशा में भारत का दृष्टिकोण
भारत ने जोर देकर कहा है कि यूएनएससी को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
- आतंकी संगठनों की ब्लैकलिस्टिंग: भारत का मानना है कि जब कोई संगठन प्रतिबंधित होता है, तो उससे संबंधित सभी जानकारियाँ सार्वजनिक होनी चाहिए।
- गुप्त वीटो का अंत: भारत ने इसे “छिपा हुआ वीटो” करार दिया है और इसे समाप्त करने की मांग की है।
- प्रक्रियात्मक निष्पक्षता: परिषद के निर्णय निष्पक्ष और लोकतांत्रिक होने चाहिए।
चीन की नीति और भारत की आपत्तियाँ
भारत ने चीन द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों को बार-बार विफल करने पर गंभीर आपत्ति जताई है। भारत का कहना है कि यह केवल दक्षिण एशिया ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की सुरक्षा का विषय है।
सुधार की दिशा में वैश्विक समर्थन
भारत को कई देशों का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका, जापान, जर्मनी, और ब्राजील जैसे देशों ने भी सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत बताई है। अफ्रीकी देशों ने भी इसमें अपनी भागीदारी बढ़ाने की मांग रखी है
यूएनएससी को वर्तमान वैश्विक जरूरतों के अनुरूप बनाना आवश्यक है। भारत की माँग न केवल उसकी स्थायी सदस्यता से जुड़ी है, बल्कि यह एक व्यापक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है।
